तभी मुझे लगा कि कामिनी ने एक बार फिर अपना योनि रस छोड़ दिया है..
ठीक उसी समय मुझे भी लगा कि मैं आने वाला हूँ, मैंने कामिनी से कहा- मेरी जान, मैं छुटने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ?
ठीक उसी समय मुझे भी लगा कि मैं आने वाला हूँ, मैंने कामिनी से कहा- मेरी जान, मैं छुटने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ?
कामिनी बोली- मेरे अंदर ही डाल दो मेरे राजा, आज मेरी चूत की दूसरी सुहागरात है।
उसे और मुझे यह शर्म ही नहीं थी कि उसका पति भी हमारी बात सुन रहा है।
उसे और मुझे यह शर्म ही नहीं थी कि उसका पति भी हमारी बात सुन रहा है।
मैं अपना सारा माल उसके अंदर डाल कर निढाल होकर उसके ऊपर ही लेट गया।
वो भी मुझे ऐसे भींच कर बुदबुदा रही थी- अब मुझे छोड़ कर मत जाना जानू…
वो भी मुझे ऐसे भींच कर बुदबुदा रही थी- अब मुझे छोड़ कर मत जाना जानू…
कुछ मिनट ऐसे पड़े रहने के बाद मुझे ख्याल आया कि घर भी तो जाना है। मैंने कामिनी को अलग करते हुए राजीव से कहा- मुझे घर जाना है।
कामिनी बोली- कॉफ़ी बनाती हूँ, पीकर जाना।
कामिनी बोली- कॉफ़ी बनाती हूँ, पीकर जाना।
वो नंगी ही किचन में गई, राजीव उसके पीछे पीछे किचन में गया, मैं बाथरूम में एक बार फिर शावर लेने चला गया।
किचन से फिर ‘उह आह…’ की आवाज आने पर मैं समझ गया कि राजीव फिर चालू हो गया है।
मैं वहाँ झांकने गया तो देखा कि राजीव कामिनी को कुतिया बना कर चोद रहा है।
मुझे देखते ही बोला- तू भी आ जा, दे दे इसके मुँह में।
मैं वहाँ झांकने गया तो देखा कि राजीव कामिनी को कुतिया बना कर चोद रहा है।
मुझे देखते ही बोला- तू भी आ जा, दे दे इसके मुँह में।
कामिनी ने खुद हाथ बढ़ा कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया।
राजीव तो बहुत जल्दी झड़ गया और कामिनी की प्यास फिर अधूरी रह गई।
मैंने कहा- अब फिर कभी!
मैंने कहा- अब फिर कभी!
काफी पीकर मैं घर आ गया।
आते ही मेरी बीवी का फ़ोन आया।
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