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Tuesday 26 April 2016

यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध -4

जब वो पानी पी चुकी तो मैंने गिलास उसके हाथ से लिया और टेबल पर रख दिया और उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर उसके गालों पर से उसके आँसू चाटने शुरू कर दिए।
मेरे इस प्रकार उसके गालों पर जीभ से उसके आँसू चाटने से अब उसका ध्यान भटक कर भावनाओं से हट कर सेक्स की तरफ हो गया था।
मैं अभी भी अपनी जीभ उसके गालों पर फेर रहा था कि उसने अपने होंठों में मेरे होंठ भर लिए और चूसने लगी उसके इस हमले से मैं भी हैरान रह गया पर साथ ही समझ गया कि 6 साल का वक्त बहुत होता है।
मैंने भी उसके इस हमले का जवाब उसी के तरीके से दिया और अपनी जीभ उसके मुँह में धकेल दी और उसने भी पुरजोश से मेरी जीभ चूसनी शुरू कर दी।
मैंने उसके कंधे से उसे पकड़ कर थोड़ा पीछे किया और उठकर खड़ा हो गया और उसे बोला- आओ बेड रूम में चलते हैं।

वो उठ कर खड़ी हो गई और मैं उसके साथ ड्राइंग रूम से निकला। ड्राइंग रूम के बाईं तरफ एक सुसज्जित बेड रूम था, उस कमरे में घुसते ही मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और मंजरी ने ए सी चालू कर दिया।
मैंने पलट कर उसे बाहों में भर लिया और फिर से हमारे मुँह जुड़ गये कभी उसकी जीभ मेरे मुँह में जाती और कभी मेरी जीभ उसके मुँह में!
इसके साथ ही उसके हाथ मेरी बेल्ट पर पड़े, उसने मेरी बेल्ट खोल दी और पेंट के हुक खोलने की कोशिश कर रही थी। मैंने उसे थोड़ा सा पीछे किया और पैंट उतार दी और साथ ही उसकी कमीज़ भी उतार दी।
सफेद ब्रा में कसे हुए उसके स्तन एकदम गोरे जैसे मक्खन में सिंदूर मिलाया हो, उन्हें देखते ही मुझे नशा हो गया, मैंने उसके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया और ऐसे ही लिपटे हुए हम दोनो पलंग तक पहुँचे।
पलंग पर पहले हम दोनों बैठे और फिर ऐसे ही लिपटे हुए हम लेट गये, उसका सिर मेरी बाँईं बाँह पर था और दाँये हाथ से मैं उसका स्तन मर्दन कर रहा था।
मेरे होंठ उसके चेहरे पर घूम रहे थे, कभी मैं उसके होंठ चूस रहा था तो कभी उसके गाल और कभी उसकी गर्दन पर जीभ से चाट रहा था।
मेरी इन हरकतों से वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी।
अचानक वो एक झटके से उठी और मुझे नीचे गिरा कर मुझ पर सवार हो गई, मेरी जांघों पर बैठ कर मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी।मैंने उसे हटाया और अपनी शर्ट और बनियान उतार दी।
मैंने देर ना करते हुए अपनी पगड़ी भी उतार दी।
मैंने जल्दी से उसकी सलवार भी उतार दी और ब्रा की हुकें भी खोल दीं।
अब मेरे शरीर पर अंडरवियर था और उसके शरीर पर केवल पेंटी उसके स्तनों पर ब्रा का निशान बना हुआ था और जो हिस्सा ब्रा के अंदर रहने वाला था वो गोरे शरीर पर भी और ज़्यादा गोरा था। उसके निप्पल मूँगफली के दाने के बराबर थे और एकदम गुलाबी रंग के थे, और उनके गिर्द एरोला भी हल्के गुलाबी के थे।
इतने सुंदर स्तन ! उन्हें देखकर मैं मंत्र मुग्ध सा उन्हें देखता ही रह गया।
मैं ज़्यादा देर ना करते हुए उसके बाँयें स्तन को मुँह में भर लिया और चूसने लगा और दाँयें स्तन हो कभी पूरा हथेली में भर कर मसलता और कभी उसके निप्पल को उंगली और अंगूठे में लेकर मसलता।

मंजरी से अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो पा रही थी, वो मुझे पकड़ कर अपने ऊपर खींच रही थी, एक हाथ मेरे सिर में फेर रही थी और दूसरा हाथ मेरे अंडरवियर में घुसा कर मेरे चूतड़ों को मसल रही थी, मुझे अपनी तरफ पूरे ज़ोर से खींच रही थी।
मैं समझ गया कि इससे अपनी कामाग्नि सहन नहीं हो पा रही।
मुझे भी सहवास करे हुए कई महीने हो चुके थे इसलिए मैं सोच रहा था कि अगर मैंने जल्दबाज़ी दिखाई तो मैं पहले स्खलित हो जाऊँगा, इसलिए मैं चाहता था कि मैं उसे इतना उत्तेजित कर दूं कि मेरा पहला प्रभाव उस पर सकारात्मक रहे और आगे भी मैं उसके साथ सम्बन्ध बनाए रख सकूँ क्योंकि मेरे अंदर का स्वार्थ जाग उठा था।
मैंने अपने को पूरी तरह संयत करते हुए एक लंबी साँस भरी, मन को एकाग्र किया (क्योंकि मैं नियमित तौर पर योग करता हूँ और सिखाता भी हूँ) मैंने उसे प्यार से हटाया और कहा- एक मिनट रूको, पेशाब कर लूँ!
और उसे यह बोल कर मैं बेडरूम से अटैच बाथरूम में घुस गया क्योंकि लिंग बहुत अधिक तनाव में था इसलिए पेशाब आने में ही दो मिनट लग गये और पेशाब करके मैंने अपने लिंग को वॉश बेसिन में पानी से धो लिया तो उत्तेजना कुछ नियंत्रित हो गई थी।
अब मैं वापस उसके पास आया तो वो अपने स्तन अपने ही हाथों से सहला रही थी मैंने उसके पास पहुँच कर सबसे पहले उसकी पेंटी उतार दी और अपना अंडरवियर भी उतार दिया।
मैंने पुन: अपनी क्रियाएँ उसके स्तनों से शुरू कर दी, दोनों स्तनों को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया और फिर धीरे धीरे मैं छाती कमर और पेट को कभी चूसता और कभी हल्के दाँतों से काट लेता।
इसी तरह से मैं उसकी जांघों तक पहुँच गया।
मंजरी अपनी उत्तेजना के मारे बहुत बुरी तरह से मचल रही थी और रह रह कर उसके मुँह से आआअह्ह ह्ह्ह्ह… सीईई ईईईई… की आवाज़ निकल जाती थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब मैंने अपनी जगह बदल दी और उसके पैरों की तरफ आ गया।
वो बेड पर लेटी हुई थी, उसको घुटनों से पकड़ कर मैंने बेड से नीचे की ओर खींचा तो वो भी नीचे को सरक गई।
मैं फर्श पर घुटनों के बल बैठ गया और उसकी पिंडलियों से चाटना शुरू कर दिया और बारी बारी से दोनों पिंडलियों से चाटता हुआ ऊपर जांघों की ओर बढ़ा और मैं उसकी जांघों को कभी बहुत प्यार से और कभी एकदम से जीभ को सख़्त करते हुए चाट रहा था।
 बहुत बुरी तरह से मचल रही थी। जैसे ही मैं अपनी जीभ उसके शरीर पर चलाता था तो उसके पूरे जिस्म में एक सिहरन सी दौड़ जाती और रोंगटे खड़े हो रहे थे।
अपने दोनों हाथ ऊपर उठा कर मैंने उसके स्तनों को बहुत ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया पर साथ ही इस बात का भी ख्याल रखा कि मेरा दबाव इतने ज़ोर का भी ना हो कि उसे दर्द हो।
जब मैं चाटता हुआ उसकी जांघों पर अंदर वाली साइड में चाटने लगा तो वो बहुत ज़ोर से मचलने लगी और मैंने भी रुकने की बजाए और ऊपर की ओर बढ़ना जारी रखा।
अंतत: मैं स्वर्ग द्वार तक पहुँच गया और जैसे ही मैंने उसकी भग क्लाइटोरियस पर जीभ लगाई तो वो एकदम से बहुत गीली हो गई और उसके मुँह में से आवाज़ निकली आआआहह ओफफ्फ़…
और उसकी योनि में से गाढ़ा सा तरल निकलना शुरू हो गया।

मैंने उसकी पेंटी उठाई और उसे पोंछ दिया और दोबारा से अपनी जीभ का जादू दिखाना शुरू कर दिया लेकिन मंजरी इतनी अधिक कामुक ही चुकी थी कि वो एकदम से उठी मेरे कंधे पकड़े और मुझे पलंग की ओर धकेलने लगी।
मैं समझ गया कि अब रुकना मुश्किल है, अपनी जीभ उसकी क्लिट पर चलाते हुए मैंने अपनी सीधे हाथ की पहली उंगली उसकी योनि में डाल दी और आगे पीछे चलते हुए थोड़ी सी मोड़ ली और और क्लिट की नीचे वाली साइड में एक थोड़े उभरे हुए स्पॉट को उंगली से थोड़ा सा रगड़ा तो मंजरी की जो हालत हुई उसे व्यक्त करने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं।
उसने अपने चूतड़ उछालने शुरू कर दिए तो मैं समझ गया कि अब बस आखिरी कदम ही बढ़ाना है, मैंने अपने आपको उसके ऊपर से उठाया और उसे भी बोला- अब तुम ऊपर हो जाओ!
और एक तकिया उठा कर उसके चूतड़ों के नीचे रखा, मैंने सही पोज़िशन ली अपने लिंग को उसकी योनि पर टिकाया और जैसे ही धक्का दिया, तो मेरा लिंग फिसल गया।
उसने तुरंत अपने हाथ में पकड़ कर सही जगह पर रखा, जैसे ही मैंने धक्का मारा तो उसके मुँह से हल्की सी चीख निकल गई- उईईईई माँ!
मैंने उसे कहा- क्या हुआ? तुम तो एक बच्चे की माँ हो!
वो बोली- 6 साल से कुछ नहीं किया है तो थोड़ा दर्द तो होगा ही! थोड़ा धीरे धीरे करो!
मैं लगभग आधा लिंग प्रवेश करवा चुका था, रुका तो नहीं जा रहा था पर फिर भी मैंने अपने आपको थोड़ा कंट्रोल किया और रुक गया पर मेरा मुँह उसकी छातियों में घुस गया और मैंने उसके बाँये स्तन को मुँह में भर लिया, कभी तो उसे पूरे ज़ोर से चूसता और कभी उसके निप्पल को अपनी ज़ुबान से छेड़ता, कभी उसके निप्पल को होंठ और दाँत की सहायता से हल्का हल्का काटता।
ऐसे ही करीब एक डेढ़ मिनट तक किया तो उसने मेरी पीठ और चूतड़ों पर हाथ से सहलाना शुरू कर दिया और अब उसकी आँखें भी अधमुंदी सी थीं, मुझे लगा कि अब सब ठीक है।
मैंने एक हाथ उसकी कमर के नीचे डाला और दूसरे से उसके सिर के बालों को सहलाने लगा, अपना वजन उस पर बढ़ा कर धीरे धीरे पूरा लिंग प्रवेश करवा दिया और लिंग को वहीं पर रोक कर अपने कूल्हों का दबाव और ज़्यादा बढ़ा दिया और अपने लिंग के ऊपर वाली हड्डी को उसकी योनि के ऊपर वाले हिस्से पर रगड़ने लगा।
इससे मेरा प्रेशर उसके क्लिट (भग्नासा) पर पड़ा और रगड़ के कारण उसकी उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी।
(पाठक इस अनुभव को आजमा कर देखें इससे स्त्री जल्दी चरम सीमा तक पहुँचती है)

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