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Thursday 30 June 2016

चाण्डाल चौकड़ी के कारनामे-3

मैंने सोचा- साला आज का दिन लगता है शायद सील तोड़ने का ही दिन है, अभी एक सील छोड़ कर आया तो दूसरी सील आ गई।

मैं सोच ही रहा था कि शिखा फिर बोली- मैं बहुत सोच समझ कर ही छत पर आई हूँ, जब आपने कॉल किया तो भाभी नहीं उठी सिर्फ मेरी ही नींद खुली जबकि मैं बहुत थकी हुई थी। उस पर आपने ऐसा कहा कि आपको चूत की ज़रूरत है। तो बस मैंने सोचा कि आज शायद मेरी मन की मुराद पूरी हो सकती है। मैं तो आपके पास भीख मांगने आई हूँ, आप चाहो तो भिखारी समझ कर भगा दो और चाहो तो मुझे सिर्फ एक रात के लिए अपना लो।
मैं अभी भी कुछ कुछ सोचे ही जा रहा था।
शिखा पूरी ड्रामा कंपनी है, वो मेरे पैरों में लेट गई।
मैंने उसे उठाया और गले से लगा लिया और कहा- अभी तुम अपनी भाभी को भेज दो, तुम्हारी पहली चुदाई ऐसे करूँगा कि तुम हमेशा याद रखो। ऐसे छत पर छुप कर नहीं, कही बड़े से फूलों के बिस्तर पर उजाले में, पूरी शिद्दत के साथ।
शिखा बोली- आप मुझे गोली तो नहीं दे रहे न?
मैंने कहा- नहीं!
और मैंने उसके बूब्स दबा दिए और बोला- देखा ऐसे तो नहीं छेड़ता न अगर मेरे मन में कोई और ख्याल होता तो!
मैंने उसको फिर से गले लगाया और उसके पूरे बदन को सहलाया और चूमा, फिर अपने आप से दूर करके बोला- अब तू जा और तेरी भाभी को भेज अब मुझसे सहन नहीं हो रहा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
शिखा बोली- क्यों भाभी को परेशान करते हो, आप मेरे मुंह में अपना माल निकाल दो। मैं सपनों में कई बार आपके लंड का पानी पी चुकी हूँ, वही सोच सोच के मैंने कई बार अपनी चूत में उंगली की है।
मैंने कहा- माँ की लौड़ी, यही फर्श पर चुदना चाह रही है तू, मैं तेरे को अच्छे से चोदने की सोच रहा हूँ।
वो बोली- राहुल भैया, आप कितनी अच्छी गालियाँ देते हो। ठीक है, मैं भाभी को ही भेजती हूँ। पर मैं भेजूंगी तो शक होगा आप 3-4 मिनट में दुबारा कॉल करके बुलाना, मैं जाकर ऐसे लेटूंगी कि उनकी नींद खुल जाए। पर हाँ, छत पर खुले में चोदोगे तो मैं भी देखूंगी आपको चुदाई करते हुए।
मैंने कहा- भाग यहाँ से, चल जो तेरी मर्जी देख लेना, पर अभी जा और जगा उसे।
मैंने लगभग 5 मिनट बाद कॉल लगाया तो धीरे से आवाज़ आई- हेलो!
मैंने सीधे कहा- छत पर आ जाओ।
मधु छत पर आई मैंने उसे एक कोने में लेकर गया और उसकी सलवार उतार कर लंड अंदर डाल दिया और मैं बैठ गया और उसको अपने ऊपर बैठा लिया।
उसके बाद मैं बोला- बहुत ठरक मची हुई थी। अगर तुम अभी नहीं आती तो तुम्हें उसी कमरे में आकर सबके सामने चोद डालता।
मधु बोली- आज तो शाम से मुझे भी लंड की याद आ रही थी। अच्छा किया जो आपने बुला लिया।
मधु मेरे लंड पर उछलती रही।
फिर मैंने मधु को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और घोड़ी बनाकर खड़ा होकर धक्के मारने लगा।
मुझे पता था ही था कि शिखा भी कहीं न कहीं से छुप कर यह सब नज़ारा देख ही रही होगी। मधु ने भी अपनी चूत में मेरे लंड को काफी दिनों बाद लिया था तो बड़े मजे से चुदवा रही थी।
काफ़ी देर बाद हम दोनों ने अपना अपना पानी छोड़ा और जाकर अपने अपने कमरों में सो गए।
कहानी जारी रहेगी।

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