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Thursday 30 June 2016

चाण्डाल चौकड़ी के कारनामे-1

कमरे में आने के बाद मैंने उसे बिस्तर पर लेटने का इशारा किया, दरवाज़ा बंद किया और कुण्डी लगा दी।
नेहा बिस्तर पर लेट चुकी थी।

मैंने नेहा को छुआ तो पाया कि वो कामाग्नि में पूरी तरह जल रही है।
मैंने नेहा को खड़ा किया और धीरे से कान में बोला- मैं लाइट जलाता हूँ, तुम अपने कपड़े उतारो!
मैंने लाइट जलाई पर नेहा ज्यों की त्यों ही खड़ी रही।
मैं उसके करीब आया तो एक एक करके उसके कपड़े उतारे, बिस्तर पर धक्का मार कर उसकी केप्री और पैंटी को भी उसके बदन से अलग कर दिया।
अब नेहा मेरे सामने पूरी तरह नंगी पड़ी थी।
मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, पूरी जीभ को नेहा की झुलसती हुई चूत से अंदर बाहर करने लगा, बीच बीच में नेहा की चूत का दाना भी अपनी जीभ से छेड़ देता था।
मैं बिस्तर के नीचे बैठा था और नेहा बिस्तर के ऊपर अपनी टाँगें पलंग के नीचे लटका कर मेरे सामने अपनी चूत खोले पड़ी थी।
मैं अपनी जगह से उठा और नेहा के कान के पास जाकर बोला- कैसा लग रहा है?
नेहा बोली- आज तक इतना आनन्द नहीं आया… वाकयी ओरल सेक्स में बहुत अच्छा लगता है।
मैंने कहा- तुम चिंता मत करना, तुम अपना पानी मेरे ऊपर छोड़ सकती हो। मुझे अच्छा लगेगा अगर मैं तुम्हारे यौवन का पहला कतरा चख सकूँ।
नेहा बोली- इतनी सीधी भी नहीं हूँ मैं, ऊँगली तो मैं एक हफ्ते में दो बार कर ही लेती हूँ।
मैंने कहा- तूने मेरे पूरे डायलाग की माँ चोद दी।
नेहा हंसने लगी और बोली- मैं सच में आपके चाटते हुए अपना पानी छोड़ सकती हूँ क्या?
मैंने कहा- हाँ, यही बताने ऊपर आया था।
नेहा बोली- राहुल मुझे और मजा दो न!
मैंने कहा- देख नेहा मेरा तेरे से ज्यादा मन है चाहे तो मेरे लंड को हाथ लगा के देख ले, पर मैं सिर्फ इसलिए कंट्रोल कर रहा हूँ कि तुम्हारी पहली चुदाई इतनी यादगार हो कि तुम जब भी कहीं भी चुदो तो तुम्हें वही ख्याल आये और तुम उत्तेजित हो जाओ।
नेहा ने मेरे लंड को हाथ लगाया और आँखें बड़ी बड़ी कर ली।
मैंने कहा- अब यह मत बोलना कि तुम आज से पहले कड़क लंड भी नहीं देखा है।
नेहा सिर्फ न में गर्दन हिला रही थी।
मैंने कहा- तो यह भी उसी दिन देखना जब तुम्हारी पहली चुदाई होगी। क्योंकि अभी तुम्हारी भाभी को छत पर लेकर चोद लूँगा पर नई नवेली लौंडिया पर यूँ ही अपनी मलाई नहीं निकालूंगा। निकालूंगा तो उसी दिन जब सील खुलेगी।
अब मैं फिर से नेहा की चूत चाटने लगा। नेहा की चूत में से धीरे धीरे निकलता हुआ सफ़ेद लावा उसकी गांड के छेद तक जा रहा था। मैंने साथ ही अपनी ऊँगली का जादू भी दिखा ही दिया। बीच की दो उँगलियाँ उसकी चूत में डाल दी और अंगूठे से चूत के दाने के थोड़ा नीचे सहलाता रहा और जीभ से दाने को छेड़ता कभी चूस लेता था।
एक हाथ जो नेहा के वक्ष तक पहुँच तो नहीं रहा था आसानी से, पर फिर भी कोशिश कर कर के बीच बीच में नेहा के बूब्स को भी दबा रहा था।
वो पड़ी पड़ी अपनी चूत से पानी निकाल रही थी, नेहा अब तक 3 बार झड़ चुकी थी पर उसने मेरा हाथ एक भी बार नहीं पकड़ा था रोकने के लिए।
जब वो चौथी बार झड़ी तब मैंने ही ऊँगली उसकी चूत से बाहर निकाल के अच्छे से चाट कर उसकी चूत को साफ़ कर दिया।

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