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Thursday 30 June 2016

दोस्त और उसकी बीवी ने लगाया ग्रुप सेक्स का चस्का-3

मैं जैसे ही नीचे झुका उसने कामिनी की पैंटी उतार कर उसकी चूत मेरे मुँह के सामने कर दी।
मैंने जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।

कामिनी तड़फ रही थी, उन्ह आह की आवाज बढ़ती जा रही थी।
अचानक कामिनी ने मेरे मुँह में अपना योनि रस छोड़ दिया, वो हाँफती हुई राजीव से बोली- चलो बेड पर चलो।
हम लोग नंगे ही बाहर आये।
कामिनी बोली- पहले खाना खा लो, फिर..
राजीव बोला- फिर क्या?
कामिनी हंसते हुए बोली- फिर चुदाई..
कामिनी मुझसे बोली- बुरा नहीं मानना, राजीव को यही भाषा पसंद है।
हमने तौलिया लपेट कर खाना खाया।
खाना खाते समय राजीव ने दो बार कामिनी की तौलिया खोलकर उसके मम्मे चूस लिए।
कामिनी भी टेबल के नीचे से पैर से मेरा लंड हिलाने की कोशिश कर रही थी
खाना खाकर हम बेडरूम में आये।
कामिनी ने पूछा- कुछ मीठा?
राजीव ने उसके मम्मे चूसते हुए कहा- सनी, इन आमों से मीठा और क्या?
अब उसका एक मम्मा मैं चूस रहा था और एक राजीव।
कामिनी ने मेरा हाथ अपनी चूत पर रख दिया, मैंने अपनी दो उँगलियाँ उसकी चूत में कर दी और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा। वो भी तड़फ कर बोल रही थी- सनी, और जोर से करो न प्लीज, आज फाड़ दो दोनों मिलकर मिलकर मेरी चूत को।
राजीव ने यह सुनकर उसे बिस्तर पर गिराया और चढ़ गया उसके ऊपर…
उसका लंड छोटा था, उसने अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया पर कामिनी की तड़फ शांत नहीं हुई थी, उसकी चूत में तो आग लगी हुई थी।
मैंने अपना लंड उसके मुँह में कर दिया, अब वो जोर जोर से हिल हिल कर मेरा लंड चूस रही थी।
राजीव का हो गया था, पर कामिनी की आग तो भड़की हुई थी, वो राजीव को गाली देते हुए बोली- जब मेरी आग बुझा नहीं पाते तो लगाते क्यों हो?
राजीव बोला- तेरी आग बुझाने को ही तो सनी को बुलाया है। आज वो तेरी चूत फाड़ेगा।
कामिनी बोली- हाँ मेरे राजा सनी… आ देखूँ तेरे लंड की ताक़त!
मैं यह सुन कर उसकी ओर लपका और एक झटके में ही उसकी चूत में लंड घुसेड दिया।
कामिनी एक बार तो चीखी- फाड़ देगा हरामी… चल अब धक्का मार जोर जोर से!
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
और फिर शुरू हुआ चुदाई का घमासान जो उस कमरे की दीवारों ने कभी देखा न था।
राजीव भी कामिनी के मम्मे मसल रहा था, कामिनी उसका लंड पकड़ कर उसे दोबारा खड़ा कर चुकी थी।
मेरा लंड कामिनी की चूत से दोस्ती के नए आयाम स्थापित कर रहा था, पूरा कमरा ‘फच्च फच्च… उह आह…’ की आवाज से गूँज रहा था।
चूँकि कामिनी की चूत में पहले से ही राजीव का वीर्य पड़ा था इसलिए मेरे लंड की स्पीड उसकी कसी हुई चूत में खूब बढ़ी हुई थी।
मैंने भी कभी इतने खुले माहौल में चुदाई नहीं की थी जहाँ शोर या आवाज का कोई डर नहीं था।
और यह हूर जैसा मखमली नंगा बदन मुझसे चिपका पड़ा था, सब कुछ एक सपने की तरह हो रहा था।
मेरा लंड और कामिनी की चिकनी चूत एसे भिड़े हुए थे जैसे बरसों के प्यासे हों।
न कामिनी को इस बात की परवाह थी कि वो अपने पति के सामने एक पराये मर्द से चुद रही है, न मुझे इस बात का डर था कि मैं एक पराये आदमी की बीवी को उसी के सामने उसी के बिस्तर पर चोद रहा हूँ।

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